रविवार, 6 सितंबर 2015

मेरी तन्हाई......... और तुम ...

जब हम अकेले होते है तो हुमे सिर्फ अपने हमदम की याद आती है | जो हुमसे किसी कारण वश बिछड़ गया है | वो तो चला गया रह गयी तो सिर्फ उसकी यादे और हमारी तन्हाई .......





मै और मेरी सिर्फ तन्हाई , यही तो है मेरे पास...........

मेरी जिंदगी मेरी तन्हाई |
मै जी रही हूँ सिर्फ  अपनी तन्हाइयों के साथ ॥
सब चले जाते है साथ रहती है तो सिर्फ मेरी तन्हाई ....
तन्हाईयो का इस कदर आलम है ,मेरी जिंदगी मे ....
कि, महफ़िल  कि मुझे कोई आस नहीं ... मै जीना चाहती हू  सिर्फ अपनी तन्हाईयो के साथ |
इन तन्हाईयो मे सिर्फ तुम हो और तुम्हारी यादे .... याद आती है तो  सिर्फ तुम्हारी .........
पर तुम तो कही हो ही नहीं ,............................
आज फिर से मै तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ,आज फिर मै अपने आँचल को समेटते हुये बालो 
को लपेटते हुए , सपने मे खो जाना चाहती हूँ 
सिर्फ......  इस इंतजार मे कि तुम हकीकत मे ना  सही सपनों मे ही... 
आ तो जाओ और मै तुम्हें अपने पालको मे बंद कर लू हमेशा के लिए ..............॥ 

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