होती है शाम जब भी आ जाती है तेरी यादें
मुझको रुला - रुला जाती हैं तेरी यादें। ......
जब भी अकेली होती हूँ, याद आ जाती है तेरी यादें...
फिर वही बीती बातों की याद दिला जाती तेरी यादें
कभी होठो पर मुस्कान बनकर, मुझको हँसा जाती है तेरी यादें
तो कभी आँखों मे आँसू बनकर रुला जाती है तेरी यादें.....
सोचती हूँ कभी अगर बह सकती आसुओं से ये यादें ...
तो जी भर के रो लेती मैं ......और फिर कभी ना सताती मुझको
तेरी यादें........जब भी अकेली होती हूँ ....