बुधवार, 7 फ़रवरी 2024

साल भी गुजर गया ...

 


जाते जाते ये साल भी 

गुजर गया 

छोड़ गया तो सिर्फ 

तुम्हारे प्रेम के साथ 

तुम्हारी असीम यादें 

देखो कितनी उलझन 

आज भी है तुम्हारे प्रेम में 

जाने वो कौन सा साल होगा 

जब तुम लौटकर आओगे 

या शायद तुम्हारा लौटना 

संभव ही नहीं है इस जनम में 

साल दर साल गुजरते जा रहे है 

मगर तुम्हारा प्यार और भी 

गहरा होता जा रहा हैं

तुम्हारी यादों के साथ 

मगर मेरी जिंदगी बस 

गुजरते साल की तरह 

बितती जा  रही है ।।

 

 

 

वो है इमरोज ...

 


कभी तो इंतजार की 

धुंध छटेगी....

कभी तो मिलन की 

धूप खिलेगी ....

अभी उदासी है 

घने कोहरे की तरह 

अभी कुछ दर्द है  

ठंडी हवाओं सा ...पर 

एक उम्मीद है अभी कि 

तेरे आने से घर गलियां

सब महक उठेगी

और छट जाएगा ये 

कोहरा फिर से अपने 

 मिलन की  धूप खिलेगी ।।

 





कितनी उलझी हूं मैं 

अगर फुरसत हो तो 

आकर सुलझा देना 

थक गई हूं मैं खुद 

से कभी रूठ जाऊं 

तो आकर मना लेना 

दूरियां खत्म करने का 

हो कोई तरीका तो 

खुद समझना और 

समझा देना ।।





आसान नहीं है इमरोज होना 

प्रेम की पराकाष्ठा को महसूस कर

जो निभा जाए ताउम्र प्रेम को 

वो है इमरोज ...

अगले जन्म में मिलने के वादे पर 

जो जी जाए इंतजार को 

वह है इमरोज ...

सिर्फ इस एहसास से की वो मेरे 

साथ है उस मिलन को जी जाए 

वो है इमरोज ...।।

 

जब तक तेरे साथ थी .....

 


नादान थी 

अनजान थी 

जब तक तेरे साथ थी 

कुछ अधूरे सपनों 

की दास्तां थी 

एक अनसुनी सी 

कहानी थी

जब तक तेरे साथ थी 

परियों की कहानी 

के जैसे खुद से भी 

अनजानी थी 

क्योंकि मैं तेरे साथ थी 

तू था तो मैं थी 

मैं तूझसे ही थी 

बस इतनी ही मेरी 

प्रेम कहानी थी

अचानक सब बदल गया 

तू छोड़ मुझे जब 

चला गया 

समझ गई 

जान पहचान हो गई 

खुद से खुद की 

सपने टूटे ख्वाब बिखरे 

सब कुछ संभल गया 

जब मैं संभल गई 

तेरा दूर जाना 

मेरा संभल जाना 

मेरी कहानी को 

अनकहा कर गया ।।