बुधवार, 7 फ़रवरी 2024

वो है इमरोज ...

 


कभी तो इंतजार की 

धुंध छटेगी....

कभी तो मिलन की 

धूप खिलेगी ....

अभी उदासी है 

घने कोहरे की तरह 

अभी कुछ दर्द है  

ठंडी हवाओं सा ...पर 

एक उम्मीद है अभी कि 

तेरे आने से घर गलियां

सब महक उठेगी

और छट जाएगा ये 

कोहरा फिर से अपने 

 मिलन की  धूप खिलेगी ।।

 





कितनी उलझी हूं मैं 

अगर फुरसत हो तो 

आकर सुलझा देना 

थक गई हूं मैं खुद 

से कभी रूठ जाऊं 

तो आकर मना लेना 

दूरियां खत्म करने का 

हो कोई तरीका तो 

खुद समझना और 

समझा देना ।।





आसान नहीं है इमरोज होना 

प्रेम की पराकाष्ठा को महसूस कर

जो निभा जाए ताउम्र प्रेम को 

वो है इमरोज ...

अगले जन्म में मिलने के वादे पर 

जो जी जाए इंतजार को 

वह है इमरोज ...

सिर्फ इस एहसास से की वो मेरे 

साथ है उस मिलन को जी जाए 

वो है इमरोज ...।।

 

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