बुधवार, 7 फ़रवरी 2024

जब तक तेरे साथ थी .....

 


नादान थी 

अनजान थी 

जब तक तेरे साथ थी 

कुछ अधूरे सपनों 

की दास्तां थी 

एक अनसुनी सी 

कहानी थी

जब तक तेरे साथ थी 

परियों की कहानी 

के जैसे खुद से भी 

अनजानी थी 

क्योंकि मैं तेरे साथ थी 

तू था तो मैं थी 

मैं तूझसे ही थी 

बस इतनी ही मेरी 

प्रेम कहानी थी

अचानक सब बदल गया 

तू छोड़ मुझे जब 

चला गया 

समझ गई 

जान पहचान हो गई 

खुद से खुद की 

सपने टूटे ख्वाब बिखरे 

सब कुछ संभल गया 

जब मैं संभल गई 

तेरा दूर जाना 

मेरा संभल जाना 

मेरी कहानी को 

अनकहा कर गया ।।

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