आज सुबह का सूरज देखो,
कैसे चमका अम्बर में |
पंछी के कंठो से फूटा,
स्वर -संगीत डगर -डगर में ||
कुछ नया -नया सा उतरा है,
धरती पर चलो करे स्वागत |
कलियाँ चटकी हर फूल हँसा,
दिनकर ने डाला रोली-अक्षत ||
क्या खोया क्या पाया हमने,
जीवन कोई व्यापार नहीं है |
आज जिए, आज हँसे, और झूमे,
कल का कोई आधार नहीं है ||
दृष्टि अगर हम बदले तो,
सब सूंदर है, सब पावन है |
दुःख की बदली तो कही नहीं,
मस्ती में झूमता सावन है ||
सब साथ चले जीवन पथ पर,
ऐसी हो सबकी भावना |
सुख, शांति मिले समृद्धि कीर्ति,
यही है मेरी शुभकामना ||