जब भी फुरसत हो तो मिलना
मुझे
अगर
कभी
पढ़
सको तो पढ़ना मुझे
पढ़ना
उन
अनकही बातो को
जो
मैंने
कभी
कहा
नहीं
समझ
लेना
उन
एहसासों को
जो
कभी
तुमने
देखा
नहीं
जान
लेना
मेरी
दिल
की
बातो
को
जो
मेरे
दिल
में
ही
रही
जब
भी फुरसत हो तो
मिलना
मुझे
छू लेना मेरे लवो
को
दे
देना
अपनी
धड़कने
अपनी
सासे अपने एहसास
जी
लेना
एक
पल
में
कई सदिया
जब
भी
फुरसत
हो
तो
मिलना
मुझे
बैठना
मेरे
पास
देखना
मेरी
आँखों
में
अपने
इंतज़ार
को
कुछ
अधूरे ख्वाबो को
गिन सको तो गिन लेना
कितनी
राते जागी है ये
आँखे
कितनी
रोई है तेरी याद
में
मिलोगे
तभी
जानोगे
मेरी
मुहब्बत को
मेरे
एहसास
को
..... तो
जब
भी
फ़ुरसत
हो...... मिलना मुझे ..|