समय के पल मे कितनी ताकत होती है , इसे अगर हम समझना चाहते है तो ,
हमे एक जलते हुये दीप को देखना होगा | एक पल मे , एक लौ मे आप वक्त की कमान को समझ जाएंगे | दिये की
ताकत को समझने के लिए किसी स्थिति की जरूरत नहीं होती |
अंधेरा हो या ना हो दिया जलेगा तो उजाला होगा | एक साधारण सा
दिखने वाला दिया जलते ही उसमे जान आ जाती
है और वो शानदार लौ का घर बन जाता है |
दिया कैसा है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता एक बार वो जल जाए तो उजाला ही
फैलता है और वो सभी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है ,और सब
उसकी रोशनी मे खो जाते है |
हम दियो को कतार मे जलाते है , उसे
झालर की तरह देखते है | लेकिन अगर हमे उजाला देखना है तो
सिर्फ एक दिये पर गौर करना होगा | मिट्टी का एक छोटा सा दिया
, उसके शिर्ष पर एक
मुकुट की तरह उसकी लौ झिलमिलाती रहती है | वो लम्हा इतना खूबसूरत
होता है की उस पल से ज्यादा खूबसूरत कुछ हो ही नहीं सकता |
एक लौ को अपने शिर्ष पर उठाना सिर्फ एक
दिया के लिए ही संभव है | अग्नि को मुकुट की तरह अपने शिर्ष
पर सिर्फ एक दिया ही रख सकता है |
अग्नि की पूजा तो और भी कई
त्योहारो मे होती है.... लेकिन दिये जैसा मान उसे नहीं मिलता |
दिया ही सबसे सरल होता है , वो मिट्टी का हो , पीतल
का हो , चाँदी
का हो या सोने का हो तो भी क्या.....| जब तक दिया जलता नहीं
है तब तक वो सिर्फ पात्र है | और जैसे ही वो
प्रज्वलित होता है ,वैसे ही वो दीपक बन जाता है रोशनी फैलता है , राह दिखने वाला गुरु
बन जाता है | इस संसार मे अपने औचित्य को समझने का इससे बड़ा
सबक भला कौन दे सकता है |
जब एक दीपक कही जलता है तो उसकी रोशनी
दूर तक फैलती है और वो बहुत दूर से नजर आ जाता है | एक दिया अपने निर्माण से नहीं अपने कर्तव्य से चमकता
है | धूप मे एक पेड़
का साया हमे सुकुन देता है और अंधेरे मे एक दीपक रोशनी देकर हमे उजाला देता
है | ये दो ऐसे है जो हमारे कड़े वक्त मे हमारा साथ देते है |
एक दीपक सदा विजयी होता है, अंधेरे को
हराने के लिए वो हमेशा तैयार रहता है फिर भी वो दंभी नहीं होता ...वह सिर्फ एक दिप हैं, और बिलकुल सरल है
।
इसीलिए मित्रो , हमे दीपक से सीखना चाहिए .....कि हमारा कर्तव्य क्या
है | तभी हमारी दिवाली सम्पूर्ण होगी |
पहचान निर्माण से नहीं कर्तव्य से मिलती है | दिये कि लौ कि
रोशनी हम अपने दिल मे उतार ले तभी हमारा ये जीवन सम्पूर्ण होगा |
शुभ दीपावली !!!
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