.....साथी जीवन .......
साथी जीवन एक सफर है ,
क्षण भर ठहर किसी मंजिल पर
उठ जाता बिस्तर है ........
साथी जीवन एक सफर है |
काली यादे , अच्छी यादे ,
नीली –पीली तेरी यादे ,
महल – खन्ढहर जैसी यादे ,
हसती यादे, रोती यादे ,
सब लिपटे अंतस मे मेरे
प्रश्न यही बस अंतहीन है ,
मै हु राही ये डगर है ......
,
साथी जीवन एक सफर है |
स्पर्श चक्र..............
आकाश ने हवा को छुआ, हवा ने सागर को ...
सागर ने हरियाली को, हरियाली ने बादलो को..
बादल बरसे ........
जिसने सबको छुआ , पूरा हुआ ये स्पर्श चक्र |
तुमने मुझे छुआ, मैंने अपनी कामनाओ को....
कामनाओ ने फिर तुम्हें छुआ .......
हम छूते रहे एक दुसरे को ....
हमने छुआ एहसास के सभी रंगो को ...फिर भी हमारा ये
स्पर्श
चक्र.....
रहता है अधूरा और अतृप्त ..............|