चलो ख्वाबों की तश्तरी
मे कुछ लम्हे परोसे और
उन लम्हो मे पूरी करे
कुछ अधूरी ख्वाहिशें ....
कुछ अधूरे सपने, कुछ अधूरी चाहते .....
उन लम्हो मे जी ले एक
सुरमई शाम,
देखे ढलते हुये सूरज को
खो जाए एक दूसरे मे उस ढलती हुयी
शाम के साथ .....
ढुढ़े खुद को अपने अक्स
मे या फिर ख्वाहिशों की सिलवटों मे
एक दूसरे को करे महसूस और याद करे उन
बीते हुये लम्हे को
जो गुजारे थे हमने एक साथ ..........
चलो बिताए कुछ पल उन लम्हो के साथ...
पूरी करले अपनी ख़्वाहिशों को उन ख्वाबो
की तश्तरी मे,
बड़े दिनो बाद मिले हो... ख्वाबों मे चलो कुछ
गुफ़्तुगु कर ले,
जी ले अपनी जिंदगी, कुछ रह न जाए कमी ... इसीलिए
चलो कुछ लम्हे परोसे उन ख्वाबो की
तश्तरी मे ..........
my hindi poem
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