कुछ तेरी बातें , कुछ मेरी बातें .....
रह गयी कुछ अधूरी हमारी बातें ,
जब भी मिले , मिलते ही जाने की बात की ,
न कुछ अपनी कही न कुछ मेरी सुनी ,
हरदम अधूरी रही हमारी मुलाकाते .....
जब भी मिली नजरे कुछ कह न सकी.....
न तुमने कुछ कहा न मैं कुछ कह सकी ,
बस रुकी -रुकी से रह गयी हमारी बातें.....
दोनों का प्यार था सिर्फ एक दूसरे के लिए.....
पर प्यार मुकम्मल ना हो सका .. .....
और जुदा हो गए हमेशा के लिए .....
जज्बात अधूरे रह गए ... अरमान अधूरे रह गए ...
सपने अधूरे रह गए .... खवाहिशे अधूरी रह गयी.....
रह गयी अधूरी हमारी बातें........ |
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