ये
प्रकाश
का
पर्व
है
चलो
करे
इसका
स्वागत
चलो
फिर
से
दिए
जलाये
अन्धकार को
दूर
भगाये
मिल
कर
दिवाली
मनाये
साफ
करे
अपने
अंतर्मन को
क्रोध
लालच
भय
को
छोड़कर
स्वार्थ को
अपने
जलाये
फिर
मिलकर
दिवाली
मनाये
परहित
पर अपना जीवन करदे
अर्पित
करके सब
कुछ समर्पित
सब
पर
अपना
स्नेह
लुटाये
चलो
दिवाली
मनाये
हर
तरफ
रोशनी
फैलाये
रह
न
जाये
कोई
घर
अँधेरे
में
डूबा
एक
दिया
वह भी
रख
कर
आये
चलो
मिलकर
दिवाली
मनाये