हो सके तो एक बार ही सही
मगर तुम मिलना जरूर.....
मिलकर पूछने है तुमसे कई सवाल
पूछना है तुमसे की जब
मैं रूठी तो तुमने मनाया क्यों नहीं
तुमने तो कहा था बहुत प्यार है तुमसे
फिर प्यार जताया क्यों नहीं
मैंने नखरे किये तुमसे तो
फिर मेरे नखरे उठाया क्यों नहीं
चले गए यूँ ही तुम दूर मुझसे
गर तुम पास थे इतना तो
फिर सीने से लगाया क्यों नहीं
तुम सिर्फ मेरे हो ये अक्सर कहा करते थे तुम
तो फिर वो हक़ जताया क्यों नहीं
रिश्ते निभाने का अधिकार तुम्हे भी तो था
फिर तुमने निभाया क्यों नहीं
तुम्हे तो पता था की हम
बधे थे एक ही धागे से
जब एक सिरा मुझसे उलझ गया तो
दूसरे से तुमने सुलझाया क्यों नहीं
तुम थे जब मेरे तो अपना बनाया क्यों नहीं
पास आकर सीने से लगाया क्यों नहीं
उलझे रिश्तों की डोर को सुलझाया क्यों नहीं
हो सके तो मिलना जरूर पूछने है कई सवाल
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