जब हम कही बहुत भीड़ वाली जगह पर होते है तो हम ये सोचते
है कि कही एक
पल के लिए शांति मिल जाए तो
अच्छा हो | जब हमारे घर मे कोई
गेस्ट आता है
तो भी हम सोचते है कि वो जल्दी जाए और जल्दी शांति हो|
मतलब ये कि हम हमेशा शांति चाहते है , हमे एक पल कि शांति मिल जाए तो हमे बहुत ही शांति
मिलती है |
शांति मतलब एकांत .......फिर हम
अकेलेपन से क्यो घबराते है |जब
हम हर समय
अकेलापन और शांति खोजते रहते है
तो हमे अकेलेपन से डर क्यो लगता है | सोच
कर ही घबराहट होने
लगता है कि ...अरे हम अकेले है !
अकेले रहने का मतलब है कि हम अपने
साथ रह रहे है | अपने आप को समय दे
रहे
है ,और अपने आप के साथ जी रहे है |
जब हम अकेले होते है तो हम जैसे है वैसे
ही अपने साथ होते है | पर जब हम किसी के साथ होते है तो हमे एक मुखौटे के
साथ होना होता है | अगर हमारा हसने का या बोलने का
मन नहीं है तो भी हमे
उसके साथ ये सारी भूमिका निभानी पड़ती है | तो फिर हमे अकेलेपन से डर क्यो
लगता है | हम अकेले
होकर जैसे होते है वैसे ही अपने साथ होते
है| हमे किसी भी
मुखौटे की जरूरत नहीं होती है |
आप अपने साथ थोड़ा टाइम स्पेंड कीजिये
फिर देखिये आपको अकेले होने पर कोई
भी
अवसाद नहीं होगा |
आज हमलोगो की जो जीवन शैली हो रही है
उस हिसाब से तो हमे अकेले रहने की
आदत को स्वीकारना ही होगा |
आज टेक्नोलोजी ने जितना ही हमे एक
दूसरे से जोड़ा है ,उतना ही हम एक दूसरे
से
दूर भी होते जा रहे है ,ऐसे मे हम अकेले होते जा रहे है | आज के समय मे अलग
रहने का क्रेज
बढ़ रहा है और हर कोई अकेले हो रहा है | तो जब हमारी पसंद ही
अकेले रहना है तो फिर हमे तनाव क्यो हो
रहा है |
हमे अपने साथ रहने की आदत डालनी चाहिए और ये आदत मजबूरी नहीं मर्जी
होना चाहिए | क्योकि हम सबके साथ तो जी लेते है लेकिन अपने लिए
कभी नहीं
जी पाते ,अपने पर कभी ध्यान नहीं जाता और जब तक
ध्यान जाता है तब तक
बहुत देर हो चुकी होती है |
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