यादों की गलियों में जाकर देखा.....
कुछ न मिला तेरी यादो के सिवा |
दिल के झरोखो में झांक कर देखा ....
कुछ न मिला तेरी चाहतो के सिवा |
मन के बाग़ों में भी देखा वहाँ भी ......
कुछ न मिला तेरी खुश्बू के सिवा |
जहाँ बिछड़े थे हम उन राहो को देखा.....
कुछ न मिला तेरे कदमों के निसा के सिवा |
ढूंढती रही मै अपने अंदर खुद को.....
मुझे तू ही मिला मेरे अंदर मेरे सिवा |
आँखे बंद करके सपनो में देखा....
वहाँ भी कुछ न मिला तेरे ख्वाबों के सिवा |
मेरे अंदर ये तेरा वजूद है या ...
तेरी चाहत का असर ....
मेरे पास कुछ भी नहीं है ....
एक तेरी मुहब्बत के सिवा |
दूर हो गए तुम मुझसे पर...
दूर ना हो पाया मुझसे तेरा एहसास,
और....
मेरे पास कुछ भी नहीं तेरे एहसास के सिवा.....