किसने बांध रखा है बंधन मे...
मन कहता है नील गगन मे |
उड़ जाऊ मै पंछी बनकर...
दूर - दूर तक पंख पसारे |
उड़ती जाऊ बादल बन कर...
मै असीम बन जाऊ साथी |
ऐसी अभिलाषा है मन मे...
माया का है जाल तोड़ना...
लोभ मोह से भी बचना है |
जड़ता छूटे, शुद्ध
चेतना....
साथी पथ पर चलना है |
सत्य सदा अपनाना होगा ...
स्वाश- स्वाश मे धड़कन मे....
किसने बांध रखा है.....
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