तुझे कैसे भूल जाऊँ
उलझे है कुछ ऐसे है सवाल
जो सुलझते नहीं
हर तरफ है सिर्फ सवालो के जंजाल
पर तुझे कैसे भूल जाऊँ
उम्मीदें अभी भी है बाक़ी
हसरते अभी भी है जागी
अधूरी मुहब्बत का एहसास
अभी भी है बाकि
लेकिन तुझे कैसे भूल जाऊँ
थक गयी हूँ अकेले चलते चलते
सफर तनहा काटते काटते
उजाड़ गया है मेरा रास्ता
थक गयी हूँ तेरी राह देखते देखते
पर इन्तजार तेरा अभी भी है बाकि
इसलिए तुझे कैसे भूल जाऊँ
जिन्दा हूँ तेरी यादों के साथ
तेरे नाम से चल रही मेरी साँसे
सिर्फ तेरे ही ख्याल में
बिखर गए है ख्वाब मेरे
भूल जाऊँ मैं अपनी साँसों को
मगर तुझे कैसे भूल जाऊँ
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