जिंदगी थम सी गयी है तुम्हारे बगैर
कदम कुछ रुक से गए है तुम्हारे बगैर
देखे थे कुछ ख्वाब तुम्हारे साथ
वो ख्वाब टुट से गए हैं तुम्हारे बगैर .....|
जीने की चाह तुम थे मेरी राह तुम थे
मगर उलझ गए रास्ते कुछ समझौतों के साथ
रह गयी मैं अधूरी तुम्हारे बगैर....|
ना अपनी खबर है ना मंजिल का पता
जाना
है
किस
राह
पर
सूझता
ही
नहीं
जीवन
के
चौराहे
पर
खड़ी
हूँ
तुम्हारे
बग़ैर....|
तुम्हारे
वक्त
के
इंतज़ार
में
देख
रही
हूँ
अपने
वक्त
को
गुजरते
हुए
देख
रही
हूँ
हाथ
से
सबकुछ
फिसलते
हुए
रह
गयी
हूँ
ख़ाली
हाथ
तुम्हारे
बगैर
....|
एक
उम्मीद
का
दिया
जला
कर
रखा
है
तेज
हवाओँ
से
उसको
बचा
कर
रखा
हैं
समेट
लिया
है
सबकुछ
तुम्हारा
अपने
मन
में
फिर
भी
डर
है
की
जीवन
मेरा
बिखर
न
जाए
तुम्हारे
बगैर
..... |
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