मेरा जीवन
एक
किताब
बन
गया और
तुम
मेरे
हर
पन्ने पर शामिल होते
जा
रहे
हो
बन
कर
मेरे
प्यार का फूल
बेइंतहा मेरी
जीवन
को
महका
रहे
हो
मैं
खुद
को
रोकती
हूँ
दिल
को
टोकती
हूँ
मगर
तुम
मेरी
साँसों
में
शामिल
होते
जा
रहे
हो
मुझे
मालूम
है
की
तुम
मेरे
नहीं
हो
फिर
भी
ये
दिल
तुम्हारे नाम
से
धड़क
रहा
है
सर्दी
की
धुप
की
तरह
हो
तुम
ढलती
हुई
शाम
की
तरह
हो
तुम
कहना
है
तुमसे
सिर्फ
यही
की
बेइंतहा मुहब्बत है
तुमसे
मगर
डरती
हूँ
की
ये
सुनकर
कही
तुम
रूठ न जाओ
इसीलिए
बैठी
हूँ
तुम्हारे इन्तजार में
कभी
तो
तुम्हे
भी
एहसास
होगा
मेरी
मुहब्बत का
कभी
तो
तुम
इज़हार
करोगे
मुझसे
अपनी
मुहब्बत का ....|
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