जाने कैसा रिश्ता है तुझसे,
एक अनजाना सा फिर भी पहचाना सा ....
जाने कैसा एहसास है.......
तू क्यूँ इतना खास है ,
मन की बातें मन ही जाने,
तू ही तू है हर तरफ़ ....
जाने कैसा नाता है तुमसे .....
अनजान रास्ते है फिर भी,
हर कदम पर तेरा एहसास है,
तेरी अनकही बातों का भी,
मुझे एहसास है ...
तेरे इन एहसास को कैसे बांधू मैं...
तेरी चाहत को कैसे रोकू मैं,
दिल में तू ही तू है ....... शायद
इसीलिए तू इतना खास हैं.....।
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