ये कैसा रिश्ता है
ये कैसा रिश्ता है तेरे मेरे दरमियाँ,
जो दिखाई नहीं देता.......
सिर्फ महसूस होता है,
ये कैसा रिश्ता है तेरे-मेरे दरमियाँ,
जिसे लफ्जों में बया नहीं,
कर सकते.....
ये कैसा रिश्ता है, तेरे-मेरे दरमियाँ,
जिसने बांध रखा है दोनों को,
एक बंधन में,
जो दूर होकर भी पास....
होने का एहसास होता है,
हाँ ... ऐसा रिश्ता है तेरे मेरे दरमियाँ...
जो है हर रिश्ते से परे,
एक विश्वास का रिश्ता,
एक प्यार का रिश्ता,
जहाँ सिर्फ एहसास है तेरे होने का,
तेरी चाहत का, तेरी मुहब्बत का....!
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