दिल दिया दर्द लिया और तुम्हे क्या दूँ
आँसू लिया ख़ुशी दी और तुम्हे क्या दूँ
खामोश रही तुम्हे खामोश देखकर
न कुछ कहा न कुछ सुना
दे दिए मैंने अपने अलफ़ाज़
और तुम्हे क्या दूँ ,
धड़कते रहो तुम मेरे सीने में धड़कन बनकर
महकते रहो साँसों में मेरी खुश्बू बनकर
अपनी साँसे दी अपनी धड़कन दी
और तुम्हे क्या दूँ ,
कोई देख न ले तुम्हे मेरी आँखों में
बंद कर ली अपनी आँखे मैंने इस डर से
आँखों में भरकर ... नजरो की इनायत दी
और तुम्हे क्या दूँ,
दिल दिया दर्द लिया और तुम्हें क्या दूँ
आँसू लिया ख़ुशी दी और तुम्हे क्या दूँ...|
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