मन बादल बन कर उड़ जाना चाहता है
तेरे दामन में बरस जाना चाहता है,
लिपट कर तुझसे तुझको भिगो देना चाहता है
कुछ अपनी कह कर कुछ तेरी सुनना चाहता है,
बना कर तुझे बूँद खुद सीप बन जाना चाहता है
तेरे प्यार की मोती को अपनी चाहत में,
पिरोकर तुझे समेट लेना चाहता है
तुझे आँचल में छुपा कर तुझे जहाँ से दूर ले जाना चाहता है,
जहा मै हूँ तुम हो, और बरसात की ये बूंदे
तुम्हारे साथ प्यार की इन बूँदो को बंद कर लूँ मै,
अपनी मुट्ठी में प्यार का बादल बना कर
जब भी आये मुझे याद तुम्हारी,
उन बूंदो से भिगो लूँ खुद को
और फिर बरस जाऊँ तेरे दामन में....|
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