क्या सुनाऊ मै अपनी खामोशियो की दास्ताँ
कितना कुछ खोया है खामोश रहकर
सताया है मुझे मेरी ही खामोशियो ने
सुना था दिल की बातें खामोश बयां होती है
इसीलिए मै भी खामोश रही उसकी
खामोशियों के साथ.........
उसकी ख़ामोशी मुझे खामोश कर गयी
कहती रही मै उससे यूँ खामोश रहकर
मुझे सजा मत दो
कुछ तो अपनी लफ़्जो में बयां कर दो
अगर तुम अपनी ख़ामोशी को लफ्ज़ दे
पाते तो मेरी ख़ामोशी भी समझ जाते
जब भी तेरी याद आती है,
मेरी आँखे नम कर जाती है
तेरी ख़ामोशी मुझे तन्हा कर जाती हैं
खामोश रह गए तुम और मै
और खो गया हमारा प्यार
हमारी खामोशियों में......
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