लिख
डाला
तुझे
अपनी
कविताओं में
एक
एक
हर्फ
तेरे
नाम
कर
डाला
नज़्म
बना
डाला
गीत
लिख
डाले
गजलों
में
भी
तुझे
पीरो
डाला
फिर
भी
लगता
है
अकसर
कही
तुम
अधूरे
रह
जाते
हो
बन
कर
मेरी
अधूरी
आस
अधूरी
प्यास
तुम
बिन
ये
जीवन
अतृप्त
रह
जाता
है
जानती
हूं
कि
प्रेम
पाने
का
नाम
नहीं
प्राप्त होने
का
नाम
है
मैं
भी
तुम्हे
प्राप्त करके
कविताओं को
पूर्ण
कर
लेना
चाहती
हूं
बिना
मिलन
की
आस
लिए
तुम्हे
जी
लेना
चाहती
हूं
अपनी
कविताओं में
कर
लेना
चाहती
हूं
खुद
को
परिपूर्ण
अपनी
कविताओं
की
तरह
।।
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