ये खामोश भरी राते
बहुत कुछ कहती है
आंखे बिना नींद
आंसू बहाती रहती है
कितनी राते सिर्फ
करवट में बीत जाती है
चाहे जितनी भी कर लूं
कोशिश मैं तेरी यादे
दिल मे दर्द दे ही जाती है
आती है जब भी ठंडी हवाएं
संग उनके तेरी खुशबू
मेरे मन मे भर जाती है
जागती राते अक्सर
मुझे जगा जाती है
किससे कहूँ दिल की दास्तां
कुछ टूटे सपने बिखरे रिश्ते
जो मन मे है
वो बन कर कांटा मुझे
चुभो जाती है
वक्त बेवक्त कभी भी
चली आती है तेरी यादे
और आकर मुझे रुला जाती है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें