स्मृतियाँ...
फूलो सी तेरी स्मृतियाँ
अक्सर कांटे बन जाती है
दिन तो कट जाता पर
राते नागिन बन जाती है..||
दोष नहीं है किसी का,
जीवन है एक सयोंग
परिवर्तन का चक्र न रुकता,
कभी मिलन है कभी वियोग
सिमटी दूरी खुलकर
सहसा अंतहीन बन जाती है... ||
किसे पता था शीश- महल के
टुकड़े-टुकड़े हो जायेंगे
अरमानो की चिता जलेगी,
सपने बिखर जायेंगे,
तेरी आँखों की बूंदे
मेरी पीड़ा बन जाती है..... ||
नहीं चाहती स्मृतियों को,
मन के आँगन में बिठलाऊँ
नहीं चाहती आज को अपने
कल के कांटो से बंधवाऊँ
फिर भी मेरी हार सदा
जीत तेरी बन जाती हैं।..||
प्रीत सदा दुःख देती है,
क्या यही सत्य है बोलो प्रिय
छोड़ो मुझको रोने दो पर
तुम न आंसूं घोलो प्रिय
आंसूं, पीड़ा, प्यार सिमट कर
प्रेम कहानी बन जाती है।..
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