देखा था एक सपना
पंख मिलेगा मेरे सपनों को
मैं भी उडूंगी खुले आकाश में
कभी बदलो से मिलूंगी
कभी हवा को छू लूँगी
कभी तारो से बाते करूंगी
पल रहे थे सपने मेरे
इंद्रधनुषी रंगों में
पिरोया था मैने सपने को
संग तुम्हारे प्यार के धागे में
मगर देखो ना ..
वक्त बीता साथ छुटा
सपने पीछे छूट गए
कुछ ठहर गए
कुछ बिखर गए
कुछ अधूरे रह गए
कुछ राह में खो गए
कुछ मंजिल से पहले
ही बिछड़ गए औऱ..
रह गयी मैं भी अधूरी
अपने अधूरे सपनो की तरह ।।
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