खुद से नाराज
अक्सर हम खुद
से ही रूठ जाते है
समझ नही आता
किससे करे शिकायत
तो खुद से ही
शिकायत करते है
अक्सर हम चुप हो जाते है
कुछ बातों को
दिल के एहसासों को
किससे करे बयां
तो खुद से ही बतियाते है
अक्सर हम जागते रह जाते है
अपनी नींद अपने ख्वाब
सब उजड़ जाते है
तो खुद से ही आंसू बहाते है
अक्सर जिंदगी कुछ
बिखरी सी हो जाती है
कुछ टूटे सपने
कुछ टुकड़े लम्हे
खुद से ही जोड़ लाते है
अक्सर हम टूट कर बिखर जाते है ...।
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