ढलती शामो में
मीठे से ख्याल
तुम्हारे,
जब भी
आते है ना जाने
कितनी ही अनकही
बाते कह जाते है
वो तेरी खामोशी,
वो मुस्कुराहट, बस
मन मे गूंज जाते है
मुझे तुम्हारे करीब
ले जाते हैं,
जिन लम्हो में सोचती
हूँ तुम्हे, जीती हूँ तुम्हे
बस उन्ही
लम्हो में मैं मुस्कुराती हूँ
मैं खिलखिलाती हूँ
तुम्हे याद करके
मैं और भी ज्यादा
तुम्हारी हो जाती हूँ ।।
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