मिलते बिछड़ते
गिरते संभालते
बीत गया
एक और साल ...
कुछ जखम
उम्र भर को दे गया
कुछ खुशियों से
भर गया
यू ही मुसकाते
गाते बीत गया
एक और साल ...
कही उजाड़ दी
जिंदगी कई
कही भर दी
उमंग नई
रोते बिलखते
हस्ते मुस्कुराते
बीत गया
एक और साल ...
कुछ दर्द भी दे गया
कुछ संगीत भी
भर गया
गाते गुनगुनाते
यूँ ही बीत
गया एक और साल ..।
चाहो या ना चाहो
फिर भी ये साल तो
याद रहेगा
जब याद आएगा
अपनी कहानी कहेगा
वो मिलना वो बिछड़ना
आंखों से नीर बनकर बहेगा
यू ही रोते मुस्काते
बीत गया एक और साल ||
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