आज ना तुम कुछ कहो ना मैं कुछ कहूँ
आज दोनों ख़ामोश रहकर ....
अपनी खामोशियों को लब्ज़ दे देते हैं
चलो आज खामोशियों को ही पढ़ लेते हैं
कुछ तुम पढ़ लेना कुछ मैं समझ लेती हूँ
चलो आज वक्त से एक लम्हा चुराते है
उस लम्हे में हम दोनों खो जाते है
तुम मुझमे गुजर जाना मैं तुझमे खो जाती हूँ
चलो आज कुछ शब्दों के गुलदस्ते बनाते है
कुछ अल्फ़ाज़ों के फूल चुन कर लाते है
कुछ लफ्ज़ तुम दे देना कुछ मैं चुन लेती हूँ
चलो आज प्यार का एक धुन बनाते है
कुछ सुरीला सा दोनों गुनगुनाते है
कुछ संगीत तुम दे देना कुछ सुर मैं लगा लेती हूँ
चलो आज चांदनी रात में डालकर
हाथो में हाथ कही घूमकर आते है
दो कदम तुम चल लेना
दो कदम मैं बढ़ा देती हूँ .....|