चुप रहना ही अच्छा है,
अब क्या कहना शब्द नहीं है |
शब्द, भाव को छूते कब है,
शब्दों का कुछ अर्थ नहीं है |
संग- संग समय बहुत बीता ,
पर किसने समझा किसको मीत |
होठो पर जो छलका- छलका,
दिल में बैठा गुमसुम प्रीत |
दुनिया इतनी सरल नहीं है,
जितना समझो उतना कम है |
ठोकर खा- खा कर चलना है,
थोड़ी खुशिया कितने ग़म है |
पता नहीं की क्या शाश्वत है,
अपना सहसा क्यों हो जाता असत्य है |
सारा खेल समय का है वही ,
सत्य है वही शाश्वत है,
समय सबके साथ रहे
यही कामना मेरी शत -शत है.....!
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