एक था बचपन जो सिर्फ बचपन था
खुशिया थी लड़कपन था.... |
चाहत थी चाँद को छु लेने की
पर दिल तितली के पीछे दीवाना था,
कुछ खबर नहीं होती कब सुबह से शाम हुई
बस हंसी, ठिठोली और मस्तानापन था,
रात को माँ और उनकी कहानिया.
उन कहानियों में राजा-रानी और
परियो का अफ़साना था..... |
बारिश में भीगना, कागज की नाव बनाना
नाव को चलाना, चलते देखकर खुश हो जाना
ये था वो बचपन जिसमे हर मौसम सुहानां था...|
वो बचपन भी कितना हसीं था जिसमे
कोई ग़म नहीं था.... मासूम आँसू था
और.. सिर्फ खुशियों का खजाना था...|
हर एक पल को जीना आदत थी
न कुछ जरुरी था न कोई जरुरत थी
सिर्फ रूठना और मानना था..
एक था बचपन जो सिर्फ बचपन था .....|
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