अपना सर्वस्व तुम्हे सौप कर
जब मैं सांस लेती हूँ,
तुम समां जाते हो मेरे अंतस में
मेरी आत्मा तक,
स्पर्श कर लेते हो मेरी रूह को,
तब मैं.... मैं नहीं रह जाती
हो जाती हूँ तुम....
खो जाती हूँ तुम में
ऐसा लगता है सब कुछ,
खो गया है मेरा और
सिर्फ तुम ही तुम हो
मेरे अंदर....
मेरा कुछ भी नहीं
सब तुम्हारा है
मेरा वज़ूद भी तुम
मेरा एहसास भी तुम
मेरा प्यार भी तुम
मेरे सम्पूर्ण जीवन का
सरोकार भी तुम.....|
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