देखा था कल राहो में
कितने बिखरे थे तुम
जब संभाल नहीं सकें
खुद को तो बिछड़े क्यों
आंखों की उदासी
बयां कर रही थी
उन रातों को
जो तुमने जाग कर
काटी थी
लव जैसे बरसो से
मुस्कुराना भूल गए हो
तुम्हारी तन्हाइयो को
तुम्हारा चेहरा बयां
कर रहा था
पल भर के लिए भी
तुम्हारा मुड़ कर ना
देखना बता रहा था
कि तुम कितने
नाराज हो खुद से
यूँ बेखबर रहना था
तो बिछड़े क्यूँ
जब खुद को संभाल न
सके तो बिछड़े क्यों ।।