दिन बीत गया
देखती रही मैं
राह तुम्हारी
और तुम न आये
शाम चौखट को छू गयी
हवाओ के साथ
भीनी खुशबू यादो की
चली आयी
बिछी रही तुम्हारी
राहो में निगाहे
देखती रही रास्ता
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें