बैठी हूँ मैं ड्योढ़ी पर
तेरे मिलन की आस लिए
पल पल गुजरता है मेरा
दिल मे तेरी प्यास लिये
आओगे जब भी तुम
पलकन राह बुहारूँगी
तेरे सज़दा में झुक जाऊंगी
हर पल तुझपे वारूँगी
बस तुझको ही निहारूँगी
जा ना सकोगे तुम फिर वापस
सात जन्मों के बंधन में
मैं ऐसा तुमको बाँधूँगी
तुम मेरी सांस बन जाना
मैं तेरी धड़कन बन जाऊंगी
बसा कर तुझको अपनी आंखों में
ख्वाब तेरे ही सजाऊंगी
भूलना मत मुझे सजना गर
जो तुम ना आ सके तो
भिजवा देना इक संदेशा
तुमसे मिलने को मैं
बस दौड़ी ही चली आऊंगी ।
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