शनिवार, 2 सितंबर 2017

कुछ लम्हे अभी है बाकी




कुछ लम्हे अभी भी है  बाकी  ....क्योकि ....

कही  दूर से तेरी आवाज आई है |

अब तुझसे बिछड़ने की भी शिकायत नहीं है,

मुझे तो वक्त से शिकायत है .....क्योकि,

तेरे प्यार के कुछ लम्हे अभी भी  है बाकी....

तेरे  प्यार भरे  दास्तान को दिल मे बसाकर,

सजा रखा है अपना तन और मन.....

अब तो वक्त भी बहुत गुजर गए ...

तुम भी बदले, हम भी बदले...

बादल गए हालात भी ....

नहीं बदला तो वो तेरी यादों का जखीरा,

तेरी चाहतो का कारवा ......

अगर दे सकते हो तो दे दो मुझे,

चंद पल उधार, अपने वक्त की तिजोरी से...

जो सिर्फ और सिर्फ मेरे हो ......

जी  लू मै फिर एक बार.....तुम्हारे साथ...

 देख लू मै मिलने से बिछड्ने तक के उस सफर को,

 समेट  लू तुम्हारे साथ  गुजारे हुये हर पल को 

उन सारे बिखरे हुये लम्हों की  सुनहरी  यादों को..... 

फिर ना तो कोई शिकायत होगी न कोई ख़्वाहिश ..क्योकि

तेरे प्यार के कुछ लम्हे अभी भी है बाकी.....

 जो रहेंगे हमेशा मेरे साथ ....अंत तक अनंत तक |