शनिवार, 14 सितंबर 2019

मेरे शब्द




मेरे कुछ शब्द 
बिखरे है  यहाँ वहा 
कुछ किसी पुरानी कॉपी के आखिरी पन्नो पर 
कुछ  कागज के किसी कोनो पर 
कुछ डरे हुए कुछ सहमे हुए से 
मेरे कुछ शब्द 

कुछ मेरी सोच में 
कुछ मेरी जहन में 
कुछ गुजरे  हुए कल  में
कुछ बीते हुए पल में पड़े है 
मेरे कुछ शब्द 

कुछ  मेरी आधी अधूरी  कविताओं में 
कुछ  मेरी आधी कहानियो में 
कुछ टूटे हुए कुछ बिगड़े हुए 
कुछ सवरे हुए पड़े है 
मेरे कुछ शब्द 

मेरी आंसूओ में भीगे हुए कुछ शब्द 
तेरी याद में रोते  हुए कुछ  शब्द 
तेरी ख्वाबो में  डूबे हुए कुछ शब्द 
मेरे दर्द को बयां करते हुए पड़े है 
मेरे कुछ शब्द 

शनिवार, 7 सितंबर 2019

मेरी बिंदिया







मेरी बिंदिया फिर चमक उठी थी 
तूने तो सिर्फ दस्तक दी थी 
साँसे कुछ थमी हुई थी 
फिर क्यों मैं  यु ही चहक उठी थी 
तुलसी का बिरवा आँगन में 
दिए जलाकर ड्योढ़ी पर 
तेरी यादो में खोयी थी 
फिर सहसा क्यों ठिठक पड़ी थी 
इतना प्यार समेटे कब से 
राह में आँखे बिछी हुई थी 
कुछ आंसू मुस्कान  में लिपटे 
आशा गहरी मिलन की 
पाकर अपने प्रीतम को 
अब दिल की बगिया महक उठी थी 
मेरी बिंदिया फिर चमक उठी थी 

बारिश की बूंदे






तेरा प्यार था या बारिश की पहली बूंदे
भिगो तो गयी मुझे पर रुक न सकी
जब भी  आती है बारिश तुम्हारी याद लेकर आती है
हर बूँद से सिर्फ तुम्हारी याद आती है
बारिश जैसे ही तेज़ होती है
धड़कन तेज हो जाती है
हर धड़कन से सिर्फ तुम्हारी आवाज आती है
बारिश का ये मौसम तेरी याद दिलाता है
तेरे साथ होने का एहसास दिलाता है
तेरी खामोशी और बारिश की छम छम
दोनों ही दिल को दर्द दे  जाती है
हर तरफ सिर्फ  तेरे प्यार की आवाज आती है
कितना चाहा रोक लू तुम्हे बंद कर लूँ दिल में
लेकिन तुम भी चले गए उन बारिश की बूंदो की तरह
जिससे हथेली तो गीली हो गयी पर रुक न सकी