गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

कितने बिखरे थे तुम

 





देखा था कल राहो में 

कितने बिखरे थे तुम 

जब संभाल नहीं सकें

खुद को तो बिछड़े  क्यों 

आंखों की उदासी 

बयां कर रही थी 

उन रातों को 

जो तुमने जाग कर

काटी थी 

लव जैसे बरसो से 

मुस्कुराना भूल गए हो 

तुम्हारी तन्हाइयो को 

तुम्हारा चेहरा बयां

कर रहा था 

पल भर के लिए भी 

तुम्हारा मुड़ कर ना 

देखना बता रहा था 

कि तुम कितने 

नाराज हो खुद से 

यूँ बेखबर रहना था 

तो बिछड़े क्यूँ  

जब खुद को संभाल न 

सके तो बिछड़े क्यों   ।।

 

मुलाकात इतनी छोटी थी....

 





मुलाकात इतनी छोटी थी कि

दिल का दर्द बयां

 ना कर सकी 

कहने को बहुत कुछ था 

मगर जुबां भी 

खोल ना सकी 

क्या कहूं तेरे 

इस मुलाकात को 

पल भर की हसीन 

सौगात थी बस 

वक्त बिताना था तेरे साथ 

मगर लम्हा भी गुजार ना सकी 

एक नजर ही काफी 

थी तेरी मुझ पर 

जो बहुत कुछ कह गई 

की भर कर तुझे  देखने की 

चाहत मैं बता ना सकी 

समझ रहे थे 

तुम मेरी मजबूरी 

एक मैं सब कुछ 

समझ कर भी 

तुझको कुछ भी 

समझा ना सकी 

तुमसे दूर जाकर भी 

मैं  दूर जा न सकी ।।

 

 

जिंदगी की किताब .....

 



जिंदगी की किताब में

कुछ  पन्ने खाली 

रह जाते तो अच्छा होता 

खाली पन्नो पर हम ढूंढ

लाते खुशी और 

थोड़ी हसी को 

गम को दूर कही छोड़

आते वीराने में 

आंसुओ को बंद कर देते 

पिछले पन्ने पर 

बंद कर देते उस पन्ने को 

हमेशा के लिए 

कुछ खाली पन्नो पर 

लिखते कोई खूबसूरत सी 

गजल तुम्हारे नाम की 

सजा देते अपने नगमों से 

उन खाली पन्नो को 

एक कहानी लिखते 

जिसमे तुम, तुम नही 

मैं, मैं नही दोनो 

मिलकर हम होते 

काश की जिंदगी के 

कुछ पन्ने खाली होते ।।

 

शेष रह जाता है ......

 

 

सब  कहते है कि

वक्त गुजर जाता 

मगर कुछ तो 

शेष रह जाता है 

सही  भी हैं तुम गए 

मगर तुम्हारी यादें

शेष रह गई 

जिसको कभी भी

मैं भूल नही सकती 

शेष रह गया 

मेरे पास तुम्हारा

एहसास जिसको 

मैं कभी खुद से जुड़ा 

 नहीं कर सकती 

शेष रह गई तुम्हारी 

खुशबू जिसको 

मैं महसूस कर 

सांस लेती हूं 

शेष रह गई तुम्हारी 

परछाई जो हर  

 कदम पर साथ

चलती है मेरे 

सच है तुम गए 

वक्त गुजर गया मगर 

शेष रह गए तुम 

मेरे अंदर हमेशा के लिए ।।

 

सदैव तुम्हारी......


सदैव रहोगे मेरे 

यही कहा था ना तुमने 

साथ पूरा करोगे ये 

जीवन का सफर 

यही बोला था ना तुमने 

बन कर मेरी परछाई 

रहोगे संग

थाम कर हाथ चलोगे संग 

यही सोचा था ना तुमने 

लेकिन देखो वक्त 

कहा लेकर आया 

तुम मेरे होकर भी 

मेरे नही हो और 

मैं अभी तक सिर्फ 

तुम्हारी ही हूं

सदैव तुम्हारी ||

गमों की दीवार ....

 



कुछ गमों की दीवार है

गिराना चाहती हूं 

ऐ जिंदगी तुझे फिर से

गले लगाना चाहती हूं ।

 

जी लेना चाहती हूं 

एक बार फिर से 

पूरी उम्मीद के साथ 

हौसली के साथ 

उड़ जाना चाहती हूं

ऊंचा बहुत ऊंचा

अपने पंखों के साथ 

जहा कोई बंधन ना हो 

जहा कोई पा ना सके 

कोई छू ना सके

मेरे मन को 

मेरे सपने को 

फिर से मुस्कुराना चाहती हूं 

ऐ जिंदगी तुझे फिर से

गले लगाना चाहती हूं ।

 

मचल जाना चाहती हूं 

तितली की तरह 

महक जाना चाहती हूं 

फूलों की तरह 

खुशबू बन कर फिर से 

बिखर जाना चाहती हूं 

ऐ जिंदगी तुझे फिर से 

गले लगाना चाहती हूं ।

 

बह जाना चाहती हूं 

चंचल नदी की तरह 

समा जाना चाहती हूं 

समंदर की बाहों में 

छू कर किनारों को 

बस दूर कही निकल 

जाना चाहती हूं 

ऐ जिंदगी तुझे फिर से 

जी लेना चाहती हूं ।।