शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

बिखर गयी जिंदगी....




टूट कर बिखर गयी जिंदगी जैसे 

बिखरते हैं पत्ते शाखों  पर से 

करती हूँ  इन्तज़ार मैं हवा के उन झोको का 

जो अपने साथ लेकर चली  जाए मुझे 

कही दूर .. बहुत दूर 

क्यूकि  ...  जिंदगी अब तुझे और जिया नहीं जाता 

तेरा दर्द  अब और सहा नहीं जाता 

कहते है जीवन जीने का नाम हैं 

सुना है जिंदगी जिंदादिली का नाम है 

मगर इस झूठ फरेब भरी  दुनिया में 

जीता कौन है अपनी सच्चाइयों के साथ 

किसे चाहिए जिंदादिली और भोलापन 

सब चले जाते हैं  मसल कर जीवन को 

गिरे हुए पत्तो की तरह 

और वो  पत्ते मिल  जाते है फिर से  मिटटी में 

और फिर गुम हो जाता उनका भी वजूद

नहीं बचता  उनका कोई नामो-निशाँ  

क्यूकि  ग़ुम हो  कर रह गयी है जिंदगी 

उन मसले हुए पत्तो की तरह 

करके तुझसे मुहब्बत....



करके तुझसे मुहब्बत तुझको साँसों में बसा लूँ 

बनाकर तुझको गुल अपनी जुल्फों में सजा लूँ 

तेरी ख़ामोशी को  लब्ज़ बनाकर 

तुझको  अपने होठो पर सजा लूँ 

बन गया है तू मेरी धड़कन  

आजा तुझको अपना दिल बना लूँ 

बंद कर लूँ तुझको अपनी पलकों में 

मैं  तुझको अपना ख्वाब बना लूँ 

मेरा हमकदम मेरा हमसाया है तू 

जलती धुप में तुझको अपना छाँव बना लूँ 

तू कभी जुदा न सके मुझसे 

तुझको अपनी रूह से बाँध लूँ 

बन जाऊँ  तेरी दुल्हन 



तुझको अपनी मांग में सजा लूँ