रविवार, 31 दिसंबर 2017

तेरे इंतज़ार में ............




ढल जाती है हर शाम तेरे इंतज़ार में.........

थक जाती है ये नजर तेरे इंतजार में........... 

जब भी मिलते हो तुम ख़्वाबों   में....... 

जीने का सहारा मिल जाता है..........

ख़्वाबों में ही सही पर तेरी बांहो ....

का सहारा  मिल जाता हैं......

वादा करते हो हर सुबह मिलने का पर,

ख़्वाब टूटते ही वादा टूट जाता हैं.....

और फिर ये दिल खो जाता है तेरे इंतज़ार में..... 

मेरी साँसों में बसे  हो तुम ,

मेरी हर धड़कन में हो तुम ,

पलकें बंद करुँ तो तुम ही नजर आते हो..... 

ये हकीकत नहीं एक ख़्वाब है, 

खो जाऊ मैं उस कभी न ख़त्म होने वाली .....

ख़्वाबों  की दुनिया में जिसमे बसा हो .....

मेरा प्यार..... और जहा सिर्फ तुम हो मैं हूँ......

और हमारा प्यार, हमारी चाहत,

गले लगा लूँ  मैं तुमको जी भर के 

छुपा  लूँ मैं तुमको अपने आँचल में 

बंद कर लूँ अपनी पलकों में 

हमेशा -हमेशा के लिए ..... क्योंकि 

कही ऐसा न हो की...... 


बंद  हो जाये मेरी साँसे  तेरे इंतज़ार में ...... 

शुक्रवार, 8 दिसंबर 2017

ख्वाहिशें ......





चलो ख्वाबों की तश्तरी मे कुछ लम्हे परोसे और
उन लम्हो मे पूरी करे कुछ अधूरी ख्वाहिशें ....
कुछ अधूरे सपने, कुछ अधूरी चाहते .....
उन लम्हो मे जी ले एक सुरमई शाम,
देखे ढलते हुये सूरज को खो जाए एक दूसरे मे उस ढलती हुयी
शाम के साथ .....
ढुढ़े खुद को अपने अक्स मे या फिर ख्वाहिशों की सिलवटों मे
एक दूसरे को करे महसूस और याद करे उन बीते हुये लम्हे को
जो गुजारे  थे हमने एक साथ ..........
चलो बिताए कुछ पल  उन लम्हो के साथ...
पूरी करले अपनी ख़्वाहिशों को उन ख्वाबो की तश्तरी मे,
बड़े दिनो बाद मिले हो...  ख्वाबों मे चलो कुछ गुफ़्तुगु कर ले, 
जी ले अपनी जिंदगी, कुछ रह न जाए कमी ... इसीलिए 
चलो कुछ लम्हे परोसे उन ख्वाबो की तश्तरी  मे ..........