शुक्रवार, 27 अगस्त 2021

तुम नए शहर में ......

 





अजनबी होंगे तुम नए शहर में 

कोई नही होगा वहां तो 

खयाल रखना अपना 

अमानत हो तुम मेरे

जज्बातो की संभाल कर

रखना खुद को कुछ 

समस्याएं हो तो उनको 

भेज देना मेरे पास 

चाँद रोज आएगा  तुम्हारे 

शहर में भी भेज देना 

संदेशा की ठीक हो तुम 

हवाएं अगर गुजरे उधर से तो 

भेज देना कुछ खुशबू 

ताकि साँस ले सकू मैं 

सुनो, मैं भी खत लिखूंगी

 हर पूनम की रात को 

भेज दूंगी चाँद के हाथों 

जब चाँद पूरे शबाब पर होगा

तो समझ लेना कि मेरा 

खत लेकर आया है 

समझ लेना दिल की बात को 

सिसकते जज्बात को 

हो सके तो आने की 

कोशिश करना पुराने शहर में 

जहा की गलियों में गुजारे है 

साथ साथ कुछ वक्त हमने 

वो  यादे आज भी जिंदा 

 है उन गलियों में 

आना जब भी फिर से जी लेंगे 

उन यादो के साथ एक नई जिंदगी। 

 

 

जीने की लिए.....

 


कुछ यादे है जो 

मिलती है रोज मुझसे 

आकर गले से लगती है 

दिल को सुकून देती है 

रोज मिलने को आएंगी 

ऐसा कहती है मुझसे 

अब तो तुम्हारे आने का 

इंतज़ार भी नही है 

यादे जो है जीने की लिए ।

 

प्यार भरा आमंत्रण,......

 




प्यार भरी आंखों से तुमने 

जो मुझको आवाज दिया।

दिल हारा और सब हारा

जीवन तेरे नाम किया।।

मधुबन में कितना सरगम है

सरगम में तिरता संगीत।

चारो ओर खनकती पायल

जो तुम हो मेरे मन मीत।।

चाय बना कर रखना तुम

पलक बिछाए रखना तुम

इतना प्यार भरा आमंत्रण

आना तय है, देखना तुम।।

 

 

 

कितना सुकून था .....


 



कितना सुकून था 

जब बचपन था 

कितनी मासूमियत थी 

कितना भोला पन था 

लड़ना झगड़ना फिर 

खिलखिलाना वो 

आंगन में मस्ती वो 

माँ  के गोद की विरासत 

वो लोरी की धुन 

वो मम्मी से शिकायत 

वो पापा से चुगली करना 

कितना खूबसूरत था वो 

भाई बहन का लड़ना 

वो राखी का त्योहार 

जिसका होता था बड़ी 

बेसब्री से इंतज़ार 

वो भाई का जेब खर्च बचाकर 

तोहफा लाना उस तोहफे को 

 पाकर बहन का इतराना 

वो तोहफ़ा सखियों सहेलियों 

को महीनों तक दिखाना 

कितना हसीन था वो जमाना 

क्या फर्क पड़ता है कि 

गर हो गयी है कुछ दूरिया 

फीके पड़ गए है कुछ रिश्ते 

हो गयी है कुछ मजबूरियां 

ये रिश्तो की ताकत है 

जो खतम नही होता 

ये भाई- बहन का प्यार है 

जो कभी कम नही होता ।

 

 

तुम्हारे इंतज़ार में ......

 

जाने से पहले तुमने सोचा 

क्या छोड़ कर जा रहे हो 

क्या तोड़ कर जा रहे  हो 

खाली कर दिया तुमने मुझे 

जैसे शून्य बन कर रह गयी मैं 

बांध कर रिश्ते में मुझे  खुद 

तो आज़ाद हो गए 

बंधनो से मुक्त होकर 

कही और बस गए 

काल रात चाँद भी 

आया खिड़की पर 

तुम्हे तलाश करते हुए 

बोल दिया कि अब

 तुम यहां नही रहते 

चाँद वहां भी तो

निकलता ही होगा 

शाम भी होती होगी 

बारिशें वहां भी होती होंगी 

कैसे रह पाते हो तो तुम 

यादे तो सताती ही होंगी 

या फिर तुम्हे मेरी 

याद ही नही आती 

वहां भी सब कुछ वैसा 

ही होगा जैसा यहां था तो 

फिर नया क्या है तुम्हारे शहर में 

कैसे भूल पाओगे मुझसे  दूर जाकर 

भले ही नया शहर नए लोग होंगे 

मगर यादे तो पुरानी ही आएंगी 

कैसे भर पाओगे अपने

खालीपन को सुनो,

अगर ना रह सको नए शहर में 

तो लौट आना मेरे पास 

मैं वही मिलुंगी जहा 

तुम छोड़ गए थे 

तुम्हारे इंतज़ार में 

पुराने प्यार के साथ ।

 

 

 

 

 

दो प्याली चाय के साथ .....

 


पलको पर शाम सजाई है 

तेरे आने की खबर जो आयी है 

उम्मीदों के चूल्हे पर चाय चढ़ाई है 

दिल में गूँज रही शहनाई है 

तेरी राह में पलके  बिछाई है 

सुकून के पल चुरा कर 

तुझे संग बिताने की ख्वाब सजाई  है 

तुम अपनी चिंताओं को छोड़ आना 

बेफिक्री को साथ लाना 

दुख और गम को भूल जाना 

कही से हँसी चुरा लाना 

कुछ पल मेरे पास है 

कुछ पल तुम लेकर आना 

बैठेंगे साथ जियेंगे कुछ हंसी पल 

दो प्याली चाय के साथ 

बांट लेंगे कुछ खुशिया अपनी 

पी लेंगे दुख अपने चाय के साथ 

भले ही कुछ पल के लिए आना 

मगर आना जरूर, सुनो 

भूलना मत  आना जरूर ।