रविवार, 22 नवंबर 2015

सकारात्मक सोच....

                                         सकारात्मक सोच 

 अक्सर हमारे जीवन मे  ऐसे मौके आते हैं जब हम बहुत निराश और उदास हो जाते हैं। ऐसे मौके पर हमें अपने आप को अपने परिवेश की अच्छी चीजों, अच्‍छी बातों की याद दिलानी पड़ती है। ऐसा करने से नकारात्मक चीजें अपने आप कही गुम हो जाती हैं, और हमारी सोच अपने आप सकारात्मक हो जाती है |
अगर हमारी सोच सकारात्मक होगी तो हमे सफलता जरूर मिलेगी भले  ही थोड़ी देर हो जाए तो क्या लेकिन हम सफल जरूर होंगे |
आप खुद सोचिए की एक  पेड़ से हजारो माचिस की तिलिया बनती है लेकिन सिर्फ एक तीली ही काफी होती है हजारो पेड़ को जलाने के लिए |
इसलिए हमे अपने बारे मे अच्छा सोचने का पूरा अधिकार है चाहे कोई हमारे बारे मे कितना भी बुरा सोचे बस हमे अपनी सोच सही रखनी है |
अगर आप उदासी और निराशा के शिकार है तो सकारात्मक सोचिए और  कुछ  बातों   को याद रखिए  और इनको अपना ले तो सबकी  जिंदगी सरल हो जाए ----
1.      वक्त सारे घाव भर देता है। हर चीज को वक्त  दिजिये ।
2.      जीवन सुलझा होता है इसे उलझाएं नहीं, हर कम को एक - एक करके करिये
3.      कुछ भी उतना बुरा  नहीं होता  जितना कि दिखता है, इसलिए बूरा सोचना बंद करें।
4.      मौके हर जगह हैं बस आप उन्हे ढूंढने की कोशीश  करिए
5.      अगर आपको अपने बारे में कुछ पसंद नहीं है तो उसे आप कभी भी बदल सकते हैं।
6.      असफलताएं और गलतियां आशीर्वाद और वरदान हैं, यह जितने मिले उतना अच्छा है।
7.      छोड़ो और जाने दो  वाला ऐटिट्यूड  अपनाएं, आप हमेशा खुश रहेंगे।
8.      ये पूरी सृष्टि हमेशा आपके पक्ष में  काम करती है न की विरोध में ऐसा हम सोचेंगे  तभी आगे बढ़ेंगे
9.      हर अगला दिन आपके लिए नयी उमीदों का भण्डार लेकर आता है, इसको  समझकर हमे अपना कोई भी काम नए लगन और हिम्मत के साथ शुरू करना चाहिए |
10.  दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं है, जो आपकी मदद कर सकते हैं और आपको प्रेरित कर सकते हैं। बस कौन अच्छा है यह हमें देखना है।
11.  सुबह का सूरज नयी सोच और जोश के साथ निकलता है ,ये कभी मत भूलिए |
12.  हर व्यक्ति अपने हुनर के साथ पैदा होता है बस हमे उसको पहचानना  है|
13.  समय की कीमत को जाने और उसका पूरा उपयोग करे | समय को बर्बाद करने वाला कभी भी आगे नही  बढ़ सकता |
14.  जो भी गलती अगर पूरे दिन मे हुई हो तों उसको हमे स्वीकार करके सुधारने की कोशिश  करनी चाहिए ताकि फिर वो गलती हम दूसरे दिन न करे |

15.  हमे अपने जीवन मे हमेशा सीखते रहना चाहिए ,क्योकि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है|....


सोमवार, 16 नवंबर 2015

मै दीपक ......तुम बाती |

16 नव ॰ 2015, आज मेरी शादी को दस साल हो गए | आज मेरी शादी की दसवी साल गिरह है | मै भगवान  से यही प्रार्थना करती हू , की जैसे ये दस साल खुशी -खुशी बीत गए वैसे ही आगे भी हमारी लाइफ ऐसे ही बीत जाए  हम आगे भी ऐसे खुश और साथ -साथ रहे | हमारा रिश्ता ऐसे ही महकता रहे | 
आज मेरे हसबेंड ने मेरे लिए चंद  लाइन  लिखी और मुझे गिफ्ट किया .... तो मैंने सोचा की आप लोगो के साथ शेयर करू  ........| 

मै दीपक हूँ, तुम हो बाती। एक दशक से जलते संग संग.....
मै हूँ सीप तो तुम हो स्वाति....

जो मेरा है, सब कुछ तेरा। कैसी अकड़न, तेरा – मेरा
मै शरीर हूँ, तुम मुझमे हो, सांस तुम्ही हो, हृदय मेरा
नहीं रखो कुछ मन मे अपने,
बातें तो है आती, जाती.....
मै दीपक हूँ, तुम हो बाती....

विश्वास करो, और अपना समझो। छोड़ो सब कुछ करो समर्पित
ईश्वर सच है, वही विधाता, सारा दुख सुख कर दो अर्पित
धूल धूसरित शिशु को भी क्या माता बढ़ कर नहीं अपनाती--?

मै दीपक हूँ, तुम हो बाती......

                               निर्भय "देवव्रत "






जानम हम तुमपे मरते है ......



जानम हम तुमपे मरते है .......|
कितना प्यार छुपा रखा है सिने मे ,
कितनी मस्ती दिखती है तेरे संग मे ,
मेरी आंखे तो अब तेरी नैनो की मदिरा पीते है ...
जानम हम तुमपे मरते है ....|

छोटी -छोटी बाते अक्सर क्या -क्या रंग दिखा  देती है ,
कसमें ,वादे पल मे टूटे ,कितने आँसू भर देती है ,
नीदे  कहा उड़ जाती है , बस हम तो तारे गिनते है .....
जानम हम तुमपे मरते है ....|

देखो ,सोचो नए साल मे ,हम डूबंगे प्यार मे ,
फिर से संग -संग जिएंगे खुशियो के संसार मे ,
कसम  तुम्हारी यकीन कर लो ,हर सांस तुम्ही से भरते है ....
जानम हम तुमपे मरते है ....|



                                 निर्भय "देवव्रत "

रविवार, 15 नवंबर 2015

दिये की एक लौ..... |

दिये कि एक लौ ......




समय के पल  मे कितनी ताकत होती है , इसे अगर हम समझना चाहते है तो , हमे एक जलते हुये दीप को देखना होगा | एक पल मे , एक लौ मे आप वक्त की कमान को समझ जाएंगे | दिये की ताकत को समझने के लिए किसी स्थिति की जरूरत नहीं होती | अंधेरा हो या ना हो दिया जलेगा तो उजाला होगा | एक साधारण सा दिखने वाला दिया जलते ही उसमे जान  आ जाती है  और वो शानदार लौ का घर बन जाता है |

दिया कैसा है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता एक बार वो जल जाए तो उजाला ही फैलता है और वो सभी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है ,और सब उसकी रोशनी मे खो जाते है |

हम दियो को कतार मे जलाते  है , उसे झालर की तरह देखते है | लेकिन अगर हमे उजाला देखना है तो सिर्फ एक दिये पर गौर करना होगा | मिट्टी का एक छोटा सा दिया , उसके शिर्ष  पर एक मुकुट की तरह उसकी लौ झिलमिलाती रहती है | वो लम्हा इतना खूबसूरत होता है की उस पल से ज्यादा खूबसूरत कुछ हो ही नहीं सकता | एक लौ को अपने शिर्ष पर उठाना सिर्फ  एक दिया के लिए ही संभव है | अग्नि को मुकुट की तरह अपने शिर्ष पर सिर्फ एक दिया ही रख सकता है | 

अग्नि की पूजा तो और भी कई त्योहारो मे होती है.... लेकिन दिये जैसा मान  उसे नहीं मिलता |


दिया ही सबसे सरल होता है , वो मिट्टी का हो , पीतल का हो , चाँदी का हो या सोने का हो तो भी क्या.....| जब तक दिया जलता नहीं है तब तक वो  सिर्फ पात्र  है | और जैसे ही वो प्रज्वलित  होता  है ,वैसे ही वो दीपक  बन जाता है रोशनी फैलता  है , राह दिखने वाला गुरु बन जाता है | इस संसार मे अपने औचित्य को समझने का इससे बड़ा सबक भला कौन दे सकता है |

जब एक दीपक कही जलता है तो उसकी रोशनी दूर तक फैलती है और वो बहुत दूर से नजर आ जाता है | एक दिया अपने निर्माण से नहीं अपने कर्तव्य से चमकता है |  धूप मे एक पेड़ का साया हमे सुकुन  देता है और  अंधेरे मे एक दीपक रोशनी देकर हमे उजाला देता है | ये दो ऐसे है जो हमारे कड़े वक्त मे हमारा साथ देते है |

एक दीपक सदा विजयी होता है, अंधेरे को हराने के लिए वो हमेशा तैयार रहता है फिर भी वो दंभी नहीं होता ...वह सिर्फ एक दिप हैं, और बिलकुल सरल है ।

इसीलिए मित्रो , हमे दीपक से सीखना चाहिए .....कि हमारा कर्तव्य क्या है | तभी हमारी दिवाली सम्पूर्ण होगी | पहचान निर्माण से नहीं कर्तव्य से मिलती है | दिये कि लौ कि रोशनी हम अपने दिल मे उतार ले तभी हमारा ये जीवन सम्पूर्ण होगा  |




शुभ दीपावली !!!