सोमवार, 18 नवंबर 2019

प्रकाश का पर्व





ये प्रकाश का पर्व है 
चलो करे इसका स्वागत 
चलो फिर  से दिए जलाये 
अन्धकार को दूर भगाये  
मिल कर दिवाली मनाये 

साफ करे अपने  अंतर्मन को 
क्रोध लालच भय को छोड़कर 
स्वार्थ को अपने जलाये 
फिर मिलकर दिवाली मनाये 

परहित पर  अपना जीवन करदे अर्पित 
 करके सब कुछ समर्पित 
सब पर अपना स्नेह लुटाये 
चलो दिवाली मनाये 

हर तरफ  रोशनी फैलाये 
रह जाये कोई घर अँधेरे में डूबा 
एक दिया वह भी रख कर आये 
चलो मिलकर दिवाली मनाये 

बन गए थे तुम मेरी किस्मत ....







बन गए थे तुम मेरी किस्मत, 
ये और बात है  की तेरी  किस्मत में हम  नहीं थे 

छुपा  लिया था तुझको अपने  दिल में, 
ये और बात है  की तेरी दिल   में हम  नहीं थे 

पा लिया  था तुझको तुझसे ही ,
ये और बात है  की तेरे ख्वाबो में  हम नहीं थे 

बसा लिया था तुझको अपनी आँखों में, 
ये और बात है  की तेरी  निगाहो  हम नहीं थे 

महसूस  कर लिया था तुझको अपनी धड़कन में 
ये और बात है  की तेरी  साँसों  में हम नहीं थे 

मेरी दुआओँ में थी तेरी ख्वाहिश, 
ये और बात है की तेरी चाहत हम नहीं थे 

बन गए थे तुम मेरी क़िस्मत ..... 


फुर्सत हो तो चले आना






कभी फुर्सत हो तो चले आना 
अपनी व्यस्तताओं से समय निकाल कर 
कुछ पल उधार  दे देना 
उस एक पल में  गुजार  लेना पूरी जिंदगी मेरे साथ 
कुछ मेरी  सुन लेना कुछ अपनी सुना देना 
जैसे मिले थे हम  पहली बार 
मिलेंगे फिर एक बार उसी 
शर्मो हाय के साथ 
लब्ज़ों को खामोश रखकर 
सुनेंगे एक दूसरे की खामोशियो को 
महसूस करेंगे एक दूसरे की धड़कनो को 
जी लेंगे एक दूसरे के एहसासो के साथ
चुरा लेंगे कुछ फुर्सत के पल एक दूसरे के  लिए 
ढूंढ लेंगे कुछ सवालो के जवाब एक दूसरे से 


कभी फुर्सत हो तो चले आना.....|