सोमवार, 12 जुलाई 2021

भूल जाओ मुझे......


 

जानती हूँ की तुमसे मिलना नही है

फिर भी तुमसे मिलने की आस क्यूं है

मालूम है की तुम मेरे नही हो

फिर तुम्हे अपनाने की प्यास क्यूं  है

मुझे पता है की मेरी लकीरो में तुम नही हो 

फिर मुझे ये किस्मत का फैसला मंजूर क्यूं नहीं है

जो भी लम्हा साथ बिताये थे हमने

वो वापस नहीं आएंगे ये पता है मुझे

फिर भी मुझे उन लम्हो का इंतज़ार क्यूं है 

जब भी तुम रूठते तो रो पड़ती थी मैं

आज तुम्हारे न होने पर आँखे सुखी क्यूं हैँ

खाया था कसम साथ चलने का हम दोनों ने

फिर मेरा सफर आज तन्हा क्यूं है

तुम्हारी  ख़ुशी थी इसलिए जुदा हो गयी

लेकिन ये तो बताओ मैं खुद से जुदा क्यूं हूँ

हार गई मैं सब कुछ इस खेल में तो

 तुम्हे फिर से पाकर जितने का सबब क्यूं है

चलो मान लिया रास्ते अलग है हमारे

मगर आज भी इस दिल तेरी ही हुकूमत क्यूं है

भूल जाओ मुझे और भूलने दो मुझे

तुन्हें मुझे याद करने की जरूरत क्यूं है ।

 

एक खत.....

 



सोचा एक खत लिख डालू

सनम के नाम का 
बया कर डालू  क्या हे
 हाल मेरे दिल का  
मगर क्या लिखू कैसे लिखू 
उसे  क्या सम्बोधन दूँ 
कुछ समझ नहीं  आया 
बस लिख डाला चार शब्द 
" मेरा प्यार मेरी जिंदगी हो तुम 
मेरी सांस, मेरी धड़कन हो तुम 
तुम हो तो मैं  हूँ, मैं तुमसे ही हूँ "
लिख कर बंद दिया लिफाफे को 
मगर ये क्या कहा भेजू   कैसे भेजू 
तेरा पता तो मालूम ही नहीं था 
मन ही मन मैं  मुस्कुराई 
सोच कर हसी भी आयी 
मेरा प्यार कितना मासूम था 
इसी मासूमियत के साथ 
मैंने  बंद करके रख दिया लिफाफे को 
बंद कर दिया एहसास को 
मचलते ज़ज्बातो को 
और भुला दिया  अपने मुहब्बत को 
हमेशा हमेशा के लिए 
पैग़ाम  बस पैग़ाम ही रह गया 
हाल दिल का दिल में ही रह गया | 

सोमवार, 5 जुलाई 2021

जब भी ख्याल तुम्हारा आया ....


जब भी ख्याल तुम्हारा आया 

बनकर खुशबू  मुझे महका गया 

ठेस तो है दिल में  बहुत 

तुम्हारे ना होने का 

मगर तुम्हारी यादे

 ये आभास  ही नही

होने देती की तुम नहीं हो 

हर पल लगता है

 तुम यही कही हो 

तुम्हारी चाहत की खुशबू 

फैली है फूलो की 

महक बनकर 

तुम्हारा प्यार बिखरा है 

आसमान में बनकर 

इंद्रधनुष का सप्तरंग 

दुःख तो बहुत है 

 तुमसे  बिछड़  कर 

मगर हर वक्त खयाल 

यही आया कि 

मेरे दर्द से कही 

तुम्हे दर्द न हो 

अब तो आदत हो

 गयी है जीने की 

तुम्हारी यादो के साथ 

सोच में रहती हूं 

अकसर अकेली और तन्हा 

बैठी रहती हूँ 

ठंडी हवाएं बारिश की 

बूंदे कुछ नए रंग लेकर 

फिर से मेरी जिंदगी को 

सजाते है और तुम्हारी 

यादो के साथ जीने 

की एक नई राह दिखाते है। 

 

 

 

मैं तुमसे ही हूँ...




 


सोचु तुमको जहा मैं

पाती हूँ तुमको वहां

हर तरफ हर जगह

तुम बसे हो दिल मे

 सांस में धड़कन में

तुम हो तो मैं हूँ

मैं तुमसे ही हूँ                                          

तुम्हारा वज़ूद हर तरफ

है मेरी जिंदगी में

तुम  भले मांग

की सिंदूर में नही

लेकिन माथे कि

 बिंदी में तुम ही हो

तुम मेरे बिछुए में तो नही हो

पर पायल की

झंकार तुमसे ही है

जानती हूँ कि चूड़ियों की

खनक में भी नही हो

लेकिन कंगन की

 खनक तुमसे ही है

बेशक मंगलसूत्र की

धागे तुमने नही बांधे

पर गले के हार की

रौनक तुम ही हो

 पता है मुझे राहे

मेरी कही और जुड़ी है

पर दिल का तार तुमसे ही बंधा है

मेरी रातो में तुम नही पर

ख्वाबो में तुम्हारा ही 

इंतज़ार रहता है

आंखो  का काजल तुमसे ही है

खुली जुल्फों की छांव में तुम हो

मेरे हर एक धडकन में तुम हो

मेरी हर सांस तुमसे है

तुम हो तो मैं हूँ

मैं तुमसे ही हूँ...।