सोमवार, 5 जुलाई 2021

मैं तुमसे ही हूँ...




 


सोचु तुमको जहा मैं

पाती हूँ तुमको वहां

हर तरफ हर जगह

तुम बसे हो दिल मे

 सांस में धड़कन में

तुम हो तो मैं हूँ

मैं तुमसे ही हूँ                                          

तुम्हारा वज़ूद हर तरफ

है मेरी जिंदगी में

तुम  भले मांग

की सिंदूर में नही

लेकिन माथे कि

 बिंदी में तुम ही हो

तुम मेरे बिछुए में तो नही हो

पर पायल की

झंकार तुमसे ही है

जानती हूँ कि चूड़ियों की

खनक में भी नही हो

लेकिन कंगन की

 खनक तुमसे ही है

बेशक मंगलसूत्र की

धागे तुमने नही बांधे

पर गले के हार की

रौनक तुम ही हो

 पता है मुझे राहे

मेरी कही और जुड़ी है

पर दिल का तार तुमसे ही बंधा है

मेरी रातो में तुम नही पर

ख्वाबो में तुम्हारा ही 

इंतज़ार रहता है

आंखो  का काजल तुमसे ही है

खुली जुल्फों की छांव में तुम हो

मेरे हर एक धडकन में तुम हो

मेरी हर सांस तुमसे है

तुम हो तो मैं हूँ

मैं तुमसे ही हूँ...।

 

 







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