सोमवार, 5 जुलाई 2021

क्यों बन गए तुम अजनबी .....

 


क्यों  बन गए तुम अजनबी

क्यों हो गए मुझसे दूर

क्यों भुला  दिया तुमने ऐसे

जैसे मेरा कोई वजूद नहीं था

क्यूँ बन गए इतने गैर की

जैसे कभी तुम मिले ही नहीं

 खुद को सच साबित करके 

क्यों झूठा  बना दिया मुझे

बन गए इतने पाक की जैसे

सारा कसूर मेरा ही  था

मिटा दिया मुझे इस तरह

जैसे मेरा  कोई अस्तित्व ही नहीं था

हो गए ऐसे बेपरवाह जैसे

कभी परवाह ही नहीं थी

इतने बेपरवाह तो तुम तो ना थे

तुमने तो मुझे जिंदगी कहा था

और जीने भी नही दिया मुझे

अपना ख्वाब माना था मुझे

और रातो को नींद ही चुरा ली

एक मुक्कमल जहा देने का

वादा किया और

खाली  कर दिया मुझे

मैं माँगती रह गयी दुहाई अपने प्यार की

और सोचती रह  गयी और तुम

सब छोड़ कर अजनबी बनते गए ...।

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