गुरुवार, 26 नवंबर 2020

मेरी ख्वाबो से.....


 



कभी तो जाओ बाहर  मेरी ख्वाबो से

कभी तो  आकर बैठो मेरे पास

ऐसा क्यों नहीं होता

शुरू  हो जो बातो का सिलसिला

कभी ख़तम ही ना हो

सुनते रहो बस मुझे तुम

ऐसा क्यों नहीं हो सकता

कभी सुनो मेरे दिल का हाल

पोंछ दो मेरे आंसू

लेकर अपनी आगोश में

ऐसा क्यों नहीं कर सकते

कभी थाम  कर मेरा हाथ                           

जताओ  अपना हक़

पूछो मुझसे कोई सवाल

देख कर मेरी आँखों को

समझो दिल का हाल

ऐसा क्यों नहीं कर सकते

थक गयी हूँ  अपनी खामोशियो से

भूल गयी हूँ  मुस्कुराना

बिताओ कुछ पल मेरे साथ

जी लूँ  फिर से जिंदगी अपनी

एक बार ऐसा कर के तो देखो

लब्जो के जादूँ से ख़तम

कर दो खामोशी को

मिटा दो ये दूरी

फिर से रोशन कर दो

जहाँ मुहब्बत का

ले चलो चाहत के रास्ते पर

प्यार की मंजिल तक

वहाँ पहुंच  कर के तो  देखो

मेरे हाथ थाम  कर तो देखो 

एक बार मेरे साथ आकर तो देखो

तुम्हे पाने की चाहत.....


 

 तुम्हे पाने की चाहत


मुझे तुम्हे पाने की चाहत नहीं

मुझे तुमसे मिलने की भी चाहत नहीं

तुम दूर रहो या पास अब कोई फर्क नहीं पड़ता

क्योकि मैं छोड़ चुकी तुम पर अपना हक़ जाताना

गलती की मैंने जो जज्बातो को जाहिर किया

गलती की मैंने जो तुम पर अपना हक़ जताया

अब कुछ कहने का मन नहीं करता

कोई शिकायत भी नहीं है तुमसे

टूट चुकी हूँ  मैं अब  अंदर तक

अब और टूटना नहीं चाहती                                                          

तुम्हे पाने की चाहत नहीं लेकिन

तुम्हे खोना भी नहीं चाहती

आँसू भी सुख गए हैं  मेरे

अब मैं और रोना भी  नहीं चाहती

नहीं करना चाहती हूँ मैं तुम्हारा सामना

नहीं चाहती की तुम देखो मुझे टूटते हुए

बिखरते हुए ,क्योकि मैं तुम पर

कोई इलज़ाम नहीं देना चाहती ... क्योकि

तुम मेरी चाहत हो मेरी मुहब्बत हो

मेरी जिंदगी हो मेरी हसरत हो